रोज लेखक के बारे में | रोज पाठ का सारांश | रोज Subjective Question
रोज लेखक के बारे में
अज्ञेय हिंदी में कहानी विधा को नया आयाम देने वाले कथाकार माने जाते हैं। जैनेन्द्र ने प्रेमचंद के उलट जिस मनोवैज्ञानिक धारा की कहानी का आरंभ किया था, अज्ञेय उसी श्रृंखला की अगली कड़ी थे। उनका मानना था कि मनुष्य का व्यक्तित्व जितना बाहर दिखता है, उससे कहीं अधिक गहरा और सूक्ष्म होता है। लेकिन बाह्य यथार्थवादी दृष्टि व्यक्ति के मन की गहराइयों तक नहीं पहुंच पाती। उसमें एक गहरी अंतर्दृष्टि, जो मन तथा समाज दोनों तक व्याप्त होनी चाहिए, का अभाव होता जाता है।
रोज पाठ का सारांश
प्रस्तुत कहानी ‘रोज’ में लेखक ही कथावाचक है और पात्र भी। मालती और कथावाचक के बीच दूर के भाई बहन का रिश्ता है लेकिन साहचर्य जनित राग भी है। मालती के विवाह के करीब चार साल बाद लेखक उससे मिलने उसके घर जाता है। वहाँ वह मालती के घर का वातावरण एक उदास सी दिनचर्या से घिरा हुआ पाता है। डॉक्टर पति माहेश्वर का नियत समय पर अस्पताल जाना, लौट कर आना, काँटा चुभने से गैंग्रीन के मरीजों के कभी हाथ तो कभी पाँव काट कर इलाज करने की बात बताना, पुनः भोजन करके वापस जाना, मालती का पति के समयानुसार सारे कार्यों को निर्धारित करना, पति का इंतजार करना, नल से पानी आने के समय की प्रतीक्षा करना, जैसे रोज-रोज के काम और यहाँ तक कि रोते-बिलखते बच्चे टिटी के प्रति भी एक रागहीन संबंध का निर्वाह करना आदि। कुल मिलाकार मालती का घर और उस घर के सदस्यों में जीवन कोई उत्सव या अवसर नहीं था। वहाँ एक मध्यवर्गीय जड़ता थी, जो किसी भी उद्देश्य की तरफ नहीं जाती थी। मालती के पति का पत्नी के प्रति, जीवन के सौन्दर्य के प्रति, व्यक्तिगत अस्मिता के प्रति, संबंधों के प्रति व्यवहार रूटीन प्रकृति का है। लेखक को लगता है कि मालती, जो कभी अल्हड़, चंचल और जिद्दी लड़की हुआ करती थी, लेखक के साहचर्य में प्रसन्न और खिली-खिली रहती थी, विवाह के इतने कम अंतराल में ही एक मध्यवर्गीय पत्नी की तरह परिस्थितियों से समझौता कर चुकी है। वह चार साल बाद मिलने आए उसके इस मित्रवत् भाई के प्रति भी कोई विशेष उत्साह नहीं दिखाती। न खुशियाँ बताती है, न दुख ही साझा करती है। लेखक भी स्तब्ध और निःशब्द होता जाता है। जिस प्रकार घड़ी यांत्रिक तरीके से अपना समय बताती चलती है, उसी तरह से मालती भी एक-एक घंटे के साथ उस घर के ढरें को आगे बढ़ाती चलती है। पूरे घर में एक मुर्दा शांति भर चुकी है। यह कहानी अखबार के एक टुकड़े के प्रति मालती की जिज्ञासा को देखकर पुरुषवादी समाज व्यवस्था में मध्यवर्गीय स्त्री की नियति का विमर्श बड़े सटीक ढंग से सामने रख देती है। मालती का पति जिस अखबार के टुकड़े में आम लपेटकर लाता है, मालती उसे पढ़ने लगती है। लेखक उसके अतीत के स्वभाव को याद करते हुए सोचता है कि यही मालती पढ़ने से दूर भागती थी। तब उसके जीवन में पढ़ाई की ऊबाऊ चर्या के बरक्स खेलने-कूदने की कल्पनाएँ करने के, किस्से गढ़ने के सुंदर अहसास ये। आज एक मध्यवर्गीय गृहस्थिन की मनहूस दिनचर्या से बाहर झाँकने के लिए उसके पासअखबारों के ये टुकड़े हैं, जिनसे छनकर वह इस ‘रोज’ की दुनिया के परे चले जाना चाहती है। लेकिन आधुनिकता के दबाव में व्यक्ति यंत्रवत् हो जाता है। वह खुद के प्रति भी अजनबीयत का शिकार हो जाता है। वह जीवन जीता नहीं, ढोता है। कुल मिलाकर यह कहानी आधुनिकता के आईने में व्यक्तिगत अस्मिता और मशीनी जीवन के त्रासद अन्तःसंघर्ष का आख्यान है।
रोज VVI SUBJECTIVE QUESTIONS
Q.1. मालती के घर का वातावरण आपको कैसा लगा ? अपने शब्दों मे लिखिए या, मालती के घर का वातावरण कैसा था ?
उत्तर – मालती के घर का वातावरण एक उदास सी दिनचर्या से घिरा हुआ था | डॉक्टर पति का नियत समय पर अस्पताल जाना, लौट कर आना, पुनः भोजन करके वापस जाना, मालती का पति के समयानुसार सारे कार्यों को निर्धारित करना, पति का इंतजार करना, रोते-बिलखते बच्चे के प्रति भी एक रागहीन-सा संबंध निर्वाह करना आदि | कुल मिलाकर मालती का घर और उस घर के सदस्यों मे जीवन कोई उत्सव या अवसर नहीं था | वहाँ एक मध्यवर्गीय जड़ता थी, जो किसी भी उदेश्य की तरफ नहीं जाती थी।
Q.2. दोपहर मे उस सूने आँगन मे पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस पर किसी शाम की छाया मंडरा रही हो, यह कैसी शाम की छाया है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर – शाम को अक्सर लोग दिनभर की चहलकदमी के पश्चात एक खालीपन का अनुभव करते हैँ | व्यक्ति और उसका परिवेश मानो किसी एक अनिश्चित बिन्दु पर ठहरा हुआ होता है | विचारों, कर्मों और संबंधों मे कोई जुबिश नहीं होती | लेखक मालती के घर मे भी इसी शाम सी उदासी को लक्षित करता है।
Q.3. लेखक और मालती के संबंध का परिचय पाठ के आधार पर दें।
उत्तर – लेखक और मालती के बीच दूर के भाई-बहन का संबंध था | लेकिन बचपन से ही साथ खेलने, पढ़ने, पीटने जैसी बालसुलभ क्रियाकलापों और साहचर्य के चलते उनमे एक सख्य भाव-सा था | उनके परस्पर व्यवहार मे हमेशा इसी सख्य भाव की स्वेच्छा और स्वच्छंदता रही, कभी भ्रातृत्व या बड़े-छोटे का संबंध नहीं रहा |
Q.4. मालती के पति महेश्वर की कैसी छवि आपके मन मे बनती है, कहानी मे महेश्वर की उपस्थिति क्या अर्थ रखती है ? अपने विचार दे।
उत्तर – कहानी मे मालती के पति महेश्वर एक सरकारी डिस्पेंसरी मे डॉक्टर हैँ, परंतु उनके अंदर एक मध्यवर्गीय पति की सभी जड़ताएं भारी हुई है | पत्नी के प्रति, जीवन के सौन्दर्य के प्रति, व्यक्तिगत अस्मिता के प्रति, संबंधों के प्रति उनका मन उचाट-सा है यआ रूटीन प्रकृति का है।
Q.5. गैंग्रीन क्या है ?
उत्तर – गैंग्रीन पैर मे किसी नुकीली चीज के चुभ जाने से फैलने वाले जहर से उपजा हुआ रोग है | प्रायः इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति के पैर काट देने पड़ते हैँ।