नौबतखाने में इबादत | 10th Hindi Bihar Board | Bseb 10th Hindi 2022

(1). यतींद्र मिश्र का जन्म कब हुआ था ?

उत्तर : 1977 ई. में।

(2). देवप्रिया किसकी रचना है ?

उत्तर : यतींद्र मिश्र ।

(3). आरंभिक दिनों में खाँ साहब की प्रेरणा कौन थीं?

उत्तर: रसूलनबाई और बतूलनबाई गायिका बहनें।

(4). बिस्मिल्ला खाँ के माता-पिता का नाम क्या था ?

उत्तर : माँ का नाम मिट्ठन और पिता का नाम पैगम्बर बख्श खाँ था।

(5). खाँ साहब की पसंदीदा हिरोइन कौन थीं?

उत्तर : सुलोचना ।

(6). बिस्मिल्ला खाँ को भारत का कौन-सा सम्मान मिला ?

उत्तर : भारत का सर्वोच्च सम्मान ‘भारतरल’ ।

(7). शहनाई का तात्पर्य क्या है ?

उत्तर : बिस्मिल्ला खाँ का हाथ।

(8). बिस्मिल्ला खाँ कब हमें छोड़कर चले गए ?

उत्तर : 21 अगस्त, 2006 को

(9). विस्मिल्ला खाँ को किसकी कचौड़ी संगीतमय लगती थी ?

उत्तर : कुलसुम की।

(10). दक्षिण भारत का कौन-सा बाय शहनाई की तरह मंगलध्वनि का पूरक है?

उत्तर : नागस्वरम् ।

 

(1). डुमराँव की महत्ता किस कारण है ?

उत्तर : डुमराँव की महत्ता इसलिए है क्योंकि यहाँ भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म हुआ था। इनका जन्म भी एक संगीत प्रेमी परिवार में ही हुआ था।

शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है। रीड नरकट (एक प्रकार की घास) से बनाई जाती है जो डुमराँव के आसपास की नदियों के कछारों में पाई जाती है।

(2). सुषिर वाय किन्हें कहते हैं? ‘शहनाई’ शब्द की व्युत्पत्ति किस प्रकार हुई है?

उत्तर : वैदिक इतिहास में शहनाई का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। इसे संगीत शास्त्रांतर्गत सुषिर वाद्यों में गिना जाता है अर्थात् शहनाई ही ‘सुषिर वाद्य’ है। शहनाई की व्युत्पत्ति इस प्रकार हुई है- ‘शास्त्रेय’ अर्थात् ‘सुषिर वायों में शाह’

(3). बिस्मिल्ला खाँ सज़दे में किस चीज़ के लिए गिड़गिड़ाते थे? इससे उनके व्यक्तित्व का कौन-सा पक्ष उद्घाटित होता है ?

उत्तर : बिस्मिल्ला खाँ सज़दे में एक नए सुर के लिए गिड़गिड़ाते थे। वे सजदे में गिड़गिड़ाते हुए कहते थे—’मेरे मालिक एक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ ।’ इससे उनके व्यक्तित्व का ईश्वर के प्रति आस्था प्रकट होती है तथा साथ ही यह भी दिखाई देता है कि इतने बड़े, इतने महान होकर भी इन्हें अपनी लघुता का आभास होता है। उन्हें अहंकार नहीं था।

(4). मुहर्रम पर्व से विस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव का परिचय पाठ के आधार पर दें।

उत्तर: मुहर्रम पर्व से बिस्मिल्ला खाँ का बहुत जुड़ाव है। यह एक शोक का पर्व है। इसमें दस दिनों का शोक मनाया जाता है। इनके परिवार का कोई व्यक्ति इन दिनों शहनाई नहीं बजाता, न ही किसी संगीत कार्यक्रम में शिरकत करता है। आठवीं तारीख उनके लिए खास महत्त्व की होती है। इस दिन ये खड़े होकर शहनाई बजाते हैं, फातमान के करीब पैदल रोते हुए नौहा बजाते हुए जाते हैं। इस दिन कोई राग नहीं बजता है। सबकी आँखें नम रहती हैं। इस तरह मुहर्रम संपन्न होता है और इस तरह एक कलाकार का सहज मानवीय रूप देखने को मिलता है।

(5). बिस्मिल्ला खाँ जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो क्या करते थे? इससे हमें क्या सीख मिलती है ?

उत्तर :  बिस्मिल्ला खाँ जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो विश्वनाथ व बालाजी मंदिर की दिशा की ओर मुँह करके बैठते हैं, थोड़ी देर ही सही, मगर उसी ओर शहनाई का प्याला घुमा दिया जाता है और भीतर की आस्था रीड के माध्यम से बजती है।

इससे हमें अपने ईश्वर, अपनी जन्मभूमि और अपनी कर्मभूमि के प्रति की सीख मिलती है।

(6). ‘संगीतमय कचौड़ी’ का आप क्या अर्थ समझते हैं ?

उत्तर : हम ‘संगीतमय कचौड़ी’ का अर्थ समझते हैं कि संगीत से युक्त कचौड़ी ख़ाँ साहब जब कुलसुम के दुकान जाते थे तो उसको कलकलाते घी में कचौड़ी डालते देखते थे। कचौड़ी डालने से जो छन्न से आवाज़ होती थी जिसमें उन्हें सारे आरोह-अवरोह दिख जाते थे। इसे वे संगीतमय कचौड़ी कहते थे।

(7). बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का वर्णन पाठ के आधार पर करें।

उत्तर: बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव, बिहार के एक संगीत प्रेमी के घर में हुआ था। 5-6 वर्ष वहाँ बिताकर वे अपने नानीघर काशी चले गए। 14 वर्ष की उम्र में वे बालाजी मंदिर, काशी में प्रतिदिन शहनाई वादन का रियाज करने जाते थे | बालाजी मंदिर जाने के रास्ते में रसूलन बाई और बतूलन बाई का घर पड़ता था जिनसे इन्हें संगीत की प्रेरणा मिली थी। उन्होंने कई बार साक्षात्कारों में यह बात बताई है कि इनको संगीत के प्रति आसक्ति इन्हीं दोनों बहनों के कारण हुई। बचपन से इन्हें सिनेमा देखने का बहुत शौक था। ये अपने घर के सदस्यों से पैसे लेकर सिनेमा देखने जाते थे और संगीतमय कचौड़ी खाते थे । एक कलाकार हर चीज में अपनी कला को देखता है। शायद इसीलिए इन्हें कचौड़ी भी संगीतमय लगती थी।

(1). ‘बिस्मिल्ला खाँ का मतलब बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई’। एक कलाकार के रूप में बिस्मिल्ला खाँ का परिचय पाठ के आधार पर दें ।

उत्तर:- ‘बिस्मिल्ला खाँ का मतलब–बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई’ । शहनाई का तात्पर्य बिस्मिल्ला खाँ का हाथ था । वे बिस्मिल्ला खाँ के हाथ में जादुई हो जाती थी ।

अपने धुन से सबको खींच लेती थी। शहनाई में सरगम भरा है। इन्हें ताल और राग मालूम है। ये कभी बेताल नहीं होते थे। ये ईश्वर से आशीर्वाद लेकर गाना शुरू करते थे तो इनके सुर में खुद-ब-खुद निखार होता गया और इनकी साधना एक दिन इन्हें भारतरत्न दिला गई। ये सुर के सामने किसी चीज़ को महत्त्व नहीं देते थे। लुंगी फटने पर इन्हें चिंता नहीं होती है। ये सुर को फटने देने से बचने के लिए ईश्वर की प्रार्थना करते हैं।

बचपन से ही ये हर चीज़ में कला को देखा करते थे। कचौड़ी के छनने में भी इन्हें धुन सुनाई पड़ती थी और ये संगीतमय कचौड़ी खाने के लोभ को छोड़ नहीं पाते थे। सिनेमा से प्यार था इन्हें संगतियों के लिए गायकों के मन में आदर नहीं देखकर इन्हें बहुत दुख होता है। इस तरह वह बेसुरे राग को कोसते मालूम पड़ते हैं, क्योंकि कला एक साधना है, इसके बिना इसका कोई अस्तित्व नहीं है।

ये कला और ईश्वर को एक ही मानते हैं। इसलिए काशी से बाहर प्रदर्शन करते समय ये काशी की ओर मुँह करके प्रदर्शन की शुरुआत करते थे। ये हिन्दू और मुस्लिम को एक ही मानते थे इसीलिए तो कभी ईश्वर तो कभी अल्लाह को याद करते थे। कलाकार के रूप में गीताबाली और सुलोचना का जिक्र होने पर मुस्कुराने लगते ।

कलाकार के रूप में इन्हें भारतरत्न, ढेरों उपाधियाँ, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार एवं पद्मविभूषण भी मिले। ये अपनी अजेय संगीतयात्रा के लिए हमेशा संगीत के नायक बने रहेंगे।

 

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