उसने कहा था लेखक के बारे में | उसने कहा था पाठ का सारांश | उसने कहा था Subjective Question

उसने कहा था लेखक के बारे में | उसने कहा था पाठ का सारांश | उसने कहा था Subjective Question

उसने कहा था लेखक के बारे में 

चंद्रधर शर्मा गुलेरी द्विवेदी युग के प्रतिभाशाली और समर्थ लेखक थे।  वह मूलत पुरातत्व, इतिहास, भाषाशास्त्र के प्रकांड विद्वान थे।  सृजनात्मक साहित्य उन्होंने बहुत ही कम लिखा है।  उन्होंने कुल 3 कहानियां ही लिखी है।  उसने कहा था उनकी और हिंदी की सार्वजनिक सशक्त कहानियों में से समादृत है।  इस कहानी पर विमल राय ने फिल्म भी बनाई थी तथा कई मंचों पर इसे अभिनीत भी किया गया है।

 

उसने कहा था पाठ का सारांश

उसने कहा था मूलतः  एक प्रेम कथा है। यह प्रेम के पवित्र और उद्धत स्वरूप की कथा है। शुद्ध प्रेम का भावनात्मक अनुभव और इस प्रेम के लिए स्वयं की आहुति देने की कहानी है। लहना सिंह उसने कहा था कहानी का नायक है।  वह अंग्रेजों द्वारा शासित भारतीय सेना के 77 सीख राइफल में जमादार है। 12 वर्ष की उम्र में वह अपने मामा के घर अमृतसर आया था।  यहाँ 8 वर्ष की एक लड़की,  जो बाद में उसके रेजिमेंट के सूबेदार हजारा सिंह की पत्नी के रूप में उससे मिलती है,  के प्रति आकर्षित होता है।  वह उसके प्रति अपने निश्चल प्रेम को सहेज कर रखता है। कभी उसे जबरन हासिल करने या अधिकार जताने का चेष्टा नहीं करता।  प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वह अंग्रेजों के लिए भारतीय सेना की तरफ से जर्मनी के खिलाफ फ्रांस की जमीन पर युद्ध करता है। सूबेदारनी ने उसे अपने पति हजारा सिंह और पुत्र बोधा सिंह की हिफाजत करने के लिए कहा था लहना सिंह जाबाजी से अपनी जान देकर भी सूबेदारनी के कहे को निभाता है। अपने प्रिय के लिए समर्पण की यह मौन भावना जो किसी प्रकार के अधिकार प्रदर्शन और चीख-पुकार से रहित है, व्यक्तिगत प्रेम और दायित्वबोध के संश्लिष्ट रूप में समर्थन परिणति को प्राप्त होता है। पूरी कहानी अपने शिल्पगत परिवेश में भी कसी हुई है। छोटे-छोटे संवाद और नाटकियता के तत्व इसे पठनीय के साथ अभिनय भी बनाते हैं।  यह कहानी निश्चयतः हिन्दी कहानी के विकास में ‘मील का पत्थर’ है।

उसने कहा था  VVI SUBJECTIVE QUESTIONS

Q.1. ‘ उसने कहा था ‘ कहानी कितने भागों मे बँटी हुई है ? कहानी के कितने भागों मे युद्ध का वर्णन है ?

उत्तर- ‘ उसने कहा था ‘ कहानी पाँच भागों मे बँटी हुई है | कहानी के दूसरे,तीसरे तथा चौथे भाग मे युद्ध का वर्णन है।

 

Q.2. कहानी के पात्रों की एक सूची तैयार करें।

उत्तर-  1. लहना सिंह  –  रेजीमेंट का जवान

2. हज़ारा सिंह  –  रेजीमेंट का सूबेदार

3. वज़ीरा सिंह  –  रेजीमेंट का जवान व विदूषक

4. बोधा सिंह   –  सूबेदार हज़ारा सिंह का बेटा

5. सूबेदारनी  –  सूबेदार हज़ारा सिंह की पत्नी, जिसे बचपन मे लहना सिंह प्रेम करता था

6. लपटन साहब  –  रेजीमेंट के ऑफिसर के वेश मे जर्मन घुसपैठिया

7. किरत सिंह  –  लहना सिंह का भाई |

 

Q.3. लहना सिंह का परिचय अपने शब्दों मे दें | या, लहना सिंह कौन थे ?

उत्तर-  लहना सिंह  ‘ उसने कहा था ‘ कहानी का नायक है | वह अंग्रेज शासित भारतीय सेना के 77 सिख राइफल मे जमादार था | 12 वर्ष की उम्र मे वह अपने मामा के घर अमृतसर आया था | वहाँ 8 वर्ष की लड़की,जो बाद मे उसके रेजीमेंट के सूबेदार हज़ारा सिंह की पत्नी के रूप मे उसे मिलती है, वह उससे आकर्षित  होता है | वह उसके प्रति अपने निश्छल प्रेम को सहेजे रहता है | प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के लिए भारतीय सेना की तरफ से जर्मनी के खिलाफ फ्रांस की जमीन पर युद्ध करता है | सूबेदारनी ने उसके अपने पति हज़ारा सिंह और पुत्र बोधा सिंह की हिफाजत करने के लिए कहा था | लहना सिंह जाँबाज़ी से अपनी जान देकर भी सूबेदारनी के कहे को निभाता है | वह एक बहादुर, अक्लमंद और बड़े हृदय वाला चरित्र है जिसमे अपने प्रिय के लिए समपर्पण की मौन भावना है , चीख-पुकार नहीं |

 

Q.4. ” कल , देखते नहीं यह रेशम से कढ़ा हुआ शालू |” यह सुनते ही लहना सिंह की क्या प्रतिक्रिया हुई ?

उत्तर- यह सुनते ही लहना सिंह हतप्रभ रह गया की जिसे वह प्रेम करने लगा था, अचानक उसका विवाह हो गया | वह क्षुब्ध और अनमना स हो उठता है | घर वापस जाते समय भी उसका मन उखडा-उखड़ा रहता है | कभी किसी लड़के को गढ्ढे मे धक्का दे देता है तो कभी खोमचेवाले को तंग करता है | कभी अनायास ही कुत्ते को पत्थर से मारता है, तो कभी गोभीवाले के ठेले मे दूध उड़ेल देता है | स्नान करके आती हुई एक वैष्णवी से टकरा जाता है | ये सारी प्रतिक्रियाएं दर्शाती है की वह काफी क्रोधित परंतु किंकर्तव्यविमूढ़ है |

 

Q.5. ” जाडा क्या है , मौत है और निमोनिया से मरने वालों को मुरब्बे नहीं मिल करते “, वजीरा सिंह के इस कथन का क्या आशय है ?

उत्तर- वज़ीरा सिंह आगाह करते हुए लहना सिंह को बताता है की तुम इस भयानक जाड़े मे भी बीमार बोधा सिंह को ठंड से बचाने के लिए अपने दोनों कंबल दे देते हो | अपना बचाव नहीं कर रहे हो | वज़ीरा सिंह मुहावरेदार भाषा मे लहना सिंह की नेकदिली पर कटाक्ष करते हुए कहता है की यदि तुम यहाँ जाड़े की गिरफ्त मे आकर (निमोनिया) मर जाते हो तो तुम्हारा बचाव मुरब्बे से संभव नहीं हो पाएगा | दरअसल वह लहना सिंह की जाड़े से हिफाजत के लिए फ़िकरमंद है |

 

 

 

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