ओ सदानीरा लेखक के बारे में | ओ सदानीरा पाठ का सारांश | ओ सदानीरा Subjective Question
ओ सदानीरा लेखक के बारे में
जगदीशचन्द्र माथुर बिहार में प्रशासक थे, परंतु अपनी साहित्यिक अभिरुचि तथा सर्जनात्मक लेखन के कारण वे अपने समय के श्रेष्ठ साहित्यकारों में समादृत रहे । नाटक के शास्त्रीय तथा लोकपरक रूपों पर उनकी समझ गहरी थी। उन्होंने सर्जनात्मक या ललित निबंध भी लिखे हैं।
ओ सदानीरा पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ उनकी किताब ‘बोलते क्षण’ से अवतरित है। बिहार की गंडक नदी को आधार बनाकर रचित यह निबंध अपनी प्रवाहमयी भाषा में इसके किनारे की (तटीय) संस्कृति और जीवन प्रवाह की अंतरंग झांकी प्रस्तुत करता है। हिन्दी ललित निबंधों की सर्जनात्मक भाषा तथा संस्कृति के प्रवाह की इतनी रचनात्मक व्याख्या के चलते यह निबंध हिंदी साहित्य की श्रेष्ठ निधि है। प्रस्तुत पाठ हमें बताता है कि हमने तथाकथित विकास के नाम पर अपने प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया है। उसी का दुष्परिणाम है कि आज विभिन्न प्राकृतिक विनाशों मसलन बाढ़, अकाल आदि का कहर झेलना पड़ता है। चंपारन का क्षेत्र इसका प्रमाण है। यह चंपारन क्षेत्र इस बात का भी साक्षी है कि भारत का वर्तमान इतिहास विभिन्न संस्कृतियों के सम्मिश्रण का इतिहास है, साझी मानवीय संस्कृति का इतिहास है। अतः मानवता की इन साझी विरासत अर्थात् विभिन्न ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहरों की हिफाजत हमारी पवित्र जिम्मेदारी है। यह पाठ गांधी जी के चंपारन सत्याग्रह के हवाले से यह भी बताता है कि किसी भी आंदोलन की सफलता के लिए आंदोलन के उद्देश्यों की पहचान, उनकी पवित्रता तथा उन्हें प्राप्त करने के लिए अपनाये जाने वाले साधनों की पवित्रता का ध्यान रखा जाना चाहिए। गांधी जी ने अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ किसी प्रकार की नारेबाजी की जगह कुछ बुनियादी प्रयास आरंभ किये थे। शिक्षा का विकास, आत्मसम्मान एवं सत्य की पक्षधरता का जीवन-मूल्य उन्होंने वहाँ की जनता में जाग्रत करने का प्रयास किया। गाँधी के बताये वे जीवन मूल्य ही आज के विघटित होते जीवन में और ज्यादा प्रासंगिक हो उठते हैं।
ओ सदानीरा Subjective Question
Q.1. चंपारन क्षेत्र मे बाढ़ की प्रचंडता
बढ़ने के क्या कारण है ? या चंपारण क्षेत्र मे बाढ़ आने के प्रमुख कारण क्या है ?
उत्तर – पहले इस क्षेत्र की नदियां के आसपास विशाल जंगल हुआ करते थे जिनकी जड़ों मे पानी रुक रहता था | बाढ़ के प्रभाव को भी ये विशाल वन रोक लेते थे | लेकिन लेखक के अनुसार पिछले छः-सात सौ साल मे चंपारण से गंगा तक फैला हुआ यह विशाल वन कटता चला गया और परिणामस्वरूप बाढ़ की प्रचंडता बढ़ती गई।
Q.2. इतिहास की कीमियाई प्रक्रिया का क्या आशय है ?
उत्तर – लेखक के अनुसार चंपारण क्षेत्र में बसने वाले लगभग सभी वर्ग – राजा से लेकर दासवर्ग तक – सबके सब चंपारण के बाहर से आकर बसे | चालुक्य वंशीय राजा सोमेश्वर पुत्र विक्रमादित्य के सेनापति राजा नाञदेव ने यहाँ कर्णाट वंश की नीव डाली | इसी तरह अंग्रेज ठेकेदार, पश्चिमी भारत के जमींदार, दक्षिणी बिहार और पूर्वी बंगाल से विष्ठापित विभिन्न श्रमशील वर्ग यहाँ आकर बसे या बसाये गए | अतः भिन्न रक्त और भिन्न संस्कृति के लोगों ने एक-दूसरे से लंबे समय तक प्रभावित-प्रेरित होकर एक साझी संस्कृति का निर्माण किया | इसे ही लेखक ने इतिहास की कीमियाई प्रक्रिया कहा है |
Q.3. धाँगड़ शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर – धाँगड़ शब्द मूलतः दक्षिण बिहार (अब झारखण्ड) के औरांव आदिवासी समुदाय का शब्द है जिसका अर्थ है – भारे का मजदूर |
Q.4. गंगा पर पूल बनाने मे अंग्रेजों ने क्यों दिलचस्पी नहीं ली ?
उत्तर – उस समय दक्षिण बिहार मे अंग्रेजों के खिलाफ बगावत संबंधी विचारधारा काफी फैल चुकी थी | अंग्रेज नहीं चाहते थे की दक्षिण बिहार के ये बागी विचार उनके निरापद राज्य मे भी फ़ैले जिससे उनके भारी मुनाफे वाले व्यापार और एकक्षत्र राज्य मे कोई खलल पैदा हो | इसलिए उन्होंने गंगा पर पूल बनाने मे दिलचस्पी नहीं ली |
Q.5. पुंडलिक जी कौन थे ?
उत्तर – गांधीजी ने भीतिहरवा गाँव के आश्रम विद्यालय मे बच्चों को शिक्षा देने के लिए खेलगाँव के पुंडलिक जी को 1917 मे बुलाया था | वे वहाँ के बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ गाँववालों के मन से अंग्रेज हुकूमत का भय भी करने का दायित्व निभा रहे थे।