12th Hindi Subjective Question Bihar Board | Bseb 12th Hindi Subjective Question | Hindi Subjective Question Bihar Board 12

1. महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचन्द्र बोस का नाम किस पाठ में आया है।

उत्तर- महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस का नाम सम्पूर्ण क्रांति पाठ में आया है।

 

2. नारी की पराधीनता कब से आरम्भ हुई?

उत्तर- जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया तो नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा । यहाँ से जिंदगी दो टुकड़ों में बँट गई । घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवन निस्सीम होता गया एवं छोटी जिंदगी बड़ी जिंदगी के अधिकाधिक अधीन होती चली गई । कृषि के विकास के साथ ही नारी की पराधीनता आरम्भ हो गई ।

 

3. लहना सिंह का प्रेम के बारे में लिखिए ।

उत्तर- लहना सिंह अपनी किशोरावस्था में एक अन्जान लड़की के प्रति “आशक्त हआ था किन्तु वह उससे प्रणय सूत्र में नहीं बन्ध सका । कालान्तर में उस लडकी का विवाह सेवा में कार्यरत एक सुबेदार से हो गया। लहना सिंह सेना में भर्ती हो गया । अचानक अनेक वर्षों के बाद उसे ज्ञात हुआ कि सुबेदारिन ही वह लड़की है जिससे उसने कभी प्रेम किया था सुबेदारिन ने उससे निवेदन किया कि वह उसे पति तथा सेना में भर्ती एकमात्र पुत्र बोधा सिंह की रक्षा करेगा। लहना ने कहा था कि वह उस वचन को निभायेगा और अपने प्राणों का बलिदान कर उसने अपनी प्रतिज्ञा का पालन किया । यही उसका वास्तविक प्रेम था ।

 

4. “तिरिछ’ किसका प्रतीक है?

उत्तर- ‘तिरिछ’ छिपकली प्रजाति का जहरीला लिजार्ड है जिसे विषखापर’ भी कहते हैं । इस कहानी में ‘तिरिछ’ प्रचलित विश्वासों और रूढ़ियों का प्रतीक है।

 

5. धाँगड़’ शब्द का क्या आशय है?

उत्तर- धाँगड़ शब्द का अर्थ ओराँव भाषा में हैं-भाड़े का मजदूर । धाँगड़ एक आदिवासी जाति है, जिसे 18वीं शताब्दी के अंत में नील की खेती के सिलसिले में दक्षिण बिहार के छोटानागपुर पठार से चंपारण के इलाके में लाया गया था । धाँगड़ जाति आदिवासी जातियों-ओराँव, मुण्डा, लोहार इत्यादि के वंशज हैं, लेकिन ये अपने आप को आदिवासी नहीं मानते हैं। धाँगड़ मिश्रित ओराँव भाषा में बात करते हैं। धाँगड़ों का सामाजिक जीवन बेहद उल्लासपूर्ण है, स्त्री-पुरुष ढलती शाम के मंद प्रकाश में सामूहिक नृत्य करते हैं।

6. ‘उषा’ कविता में आकाश के बदलते रंगों का वर्णन

उत्तर- कवि कहता है कि जब सूर्योदय से पहले की लालिमा आसमान पर छा जाती है तो ऐसा लगता है कि नीले जल में कोई हलचल पैदा हो रही है । किसी गोरी युवती की सुन्दर देह इस पवित्र जल में हिलती हुई दिखाई देती है । गोरी युवती के शरीर का प्रतिबिम्ब नीले जल में पड़ते ही उसम शुरू हो जाती है और यह जादू जो कि हर किसी के लिए रहस्य बना है अब यह जल्दी ही टूटने वाला है, कारण स्पष्ट है कि अब सूर्य निकलने वाला है अर्थात् सूर्योदय हो गया है । सूर्य की किरणें धरती पर आ चुकी हैं।

 

7. जेपी के अनुसार भ्रष्टाचार की जड़ क्या है?

उत्तर- आज देश को आजादी मिल गई है किन्तु इस गणतंत्र देश में जनता कराह रही है। भ्रष्टाचार है जहाँ जनता का कोई काम नहीं निकलता बिना रिश्वत दिए । सरकारी दफ्तरों में, बैंकों में हर जगह यदि टिकट लेना है तो वहाँ भी रिश्वत के बिना जनता का काम नहीं होता। हर प्रकार के अन्याय बढ़ता जा रहा है और जनता दबी जा रही है। शिक्षा संस्थाएँ भ्रष्ट हो रही है। हजारों नौजवानों का भविष्य अंधेरे में पड़ा हुआ है । जीवन नष्ट हो रहा है और गुलामी की शिक्षा दी जा रही है शिक्षा पाकर लोग दर-दर भटक रहे हैं नौकरी के लिए, फिर भी बिना रिश्वत दिए कहीं नौकरी नहीं मिल पाती ।

 

8. प्रवृत्ति मार्ग और निवृत्ति मार्ग क्या है?

उत्तर- प्रवत्तिमार्ग : प्रवृत्तिमार्ग को गृहस्थ जीवन की स्वीकृति का मार्ग है। दिनकरजी के अनुसार गृहस्थ जीवन में नारियों की मर्यादा बढ़ती है। जो पुरुष गृहस्थ जीवन को अच्छा मानते हैं उन्हें प्रवृत्तिमार्गी माना जाता है। जो प्रवृत्तिमार्गी हुए, उन्होंने नारियों को गले से लगाया। नारियों को सम्मान दिया। प्रवृत्तिमार्गी जीवन में आनन्द चाहते थे और नारी आनन्द की खान है। वह ममता की प्रतिमूर्ति है। वह दया, माया, सहिष्ण गुता की भंडार है।

निवृत्तिमार्ग : निवृत्तिमार्ग गृहस्थ जीवन को अस्वीकार करनेवाला मार्ग है। गृहस्थ जीवन को अस्वीकार करना नारी को अस्वीकार करना है। निवृत्ति मार्ग से नारी की मान मर्यादा गिरती है। जो निवृत्तिमार्गी बने उन्होंने जीवन के साथ नारी को भी अलग ढकेल दिया, क्योंकि वह उनके किसी काम की चीज नहीं थी। उनका विचार था कि नारी मोक्ष प्राप्ति में बाधक है। यही कारण था की प्राचीन विश्व में जब वैयक्तिक मक्ति की खोज मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी साधना मानी जाने लगी, तब झंड के झुंड विवाहित लोग संन्यास लेने लगे और उनकी अभागिन पत्नियों के सिर पर जीवित वैधव्य का पहाड़ टूटने लगा। बुद्ध, महावीर, कबीर आदि संत महात्मा निवृत्तिमार्ग के समर्थक थे।

 

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