12th Hindi Sent Up Exam 2023 Subjective Answer / Class 12th Hindi Subjective Question Answer

Bihar board Sent Up exam 2023 Class 12th Hindi Subjective Answer 

बिहार बोर्ड 2023 की अगर Sent Up परीक्षा का ओरिजिनल क्वेश्चन आंसर आप लोग को नीचे दिया गया है अपने स्कूल कॉलेज में जाकर आप लोग आसानी से डाउनलोड करके लिख सकते हैं तो फटाफट से नीचे दिए गए लिंक को भी फॉलो कर ले। 

Kaksha 12वीं ke center Pariksha ka jitna subject ka prashn Uttar hai aap logon Ko niche Diya gaya hai to aap log niche diye Gaye answer Ke antargat apna apna copy mein likh sakte hain. 

 

 

Subjective Answer 2 5 Marks

1 (3) मेरे प्रिय कवि। निबन्ध 

(ख) छात्र और राजनीति

आधुनिक जगत् में यह एक विश्वव्यापी समस्या है कि विद्यार्थियों को राजनीति में भाग लेना चाहिए या नहीं। इसका कारण यह है कि आज का युग जन-जागरण का काल है। सभी क्षेत्रों में चेतना, सजगता और जागरूकता की लहर दौड़ गई है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी इसके प्रभाव से कैसे अछूता रह

“महात्मा गाँधी ने एक बार कहा था- “मैं एक धार्मिक व्यक्ति हूँ, पर मुझे राजनीति में भाग लेना पड़ता है, क्योंकि राजनीति हमें चारों ओर से इस तरह घेरे हुए हैं जिस तरह साँप की कुंडली होती है। जिस प्रकार साँप किसी वस्तु को कुंडली में घेर लेता है उसी प्रकार राजनीति ने हमें घेर लिया है। ” गाँधी जी के इस कथन से स्पष्ट है कि आज के युग में बालक, वृद्ध, युवा कोई भी राजनीति के प्रभावों से अछूता नहीं रह सकता है तथापि यह आवश्यक है कि विद्यार्थी राजनीति की हलचल में न फँसे आज की राजनीति विषमताओं और गन्दगियों से भरी है। प्रशासकीय सत्ता की लोलुपता ने वर्तमान राजनीति के क्षेत्र को इतना दूषित बना दिया है कि आज ‘राजनीति’ दाँव-पेंच, घात-प्रतिघात का पर्यायवाची शब्द बन गई है। इसलिए छात्रों को राजनीति के सक्रिय क्षेत्र में कदापि हाथ नहीं बँटाना चाहिए। ऐसा करने से वे दिग्भ्रमित हो जाएँगे। उनके लिए तो राजनीति की गुत्थियों का गंभीर अध्ययन करके उनको पचा डालने का प्रयास ही पर्याप्त है। आज विद्यार्थी ही देश के कर्णधार है। उन्हें आज की सत्ता लोलुप राजनीति अथवा अधिकारियों के प्रलोभन में पड़कर अपने जीवन के सुनहले क्षणों को नष्ट नहीं करना चाहिए। इसके विपरीत उन्हें राजनीति के सभी दलों के सम्बन्ध में इस शास्त्र के गम्भीर अध्ययन तथा विवेचन से जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। इस प्रकार अनुशासित जीवन व्यतीत करते हुए चरित्र गठन के प्रति सजग रहकर राजनीति के ज्ञान का उपार्जन करना ही विद्यार्थियों के लिए अपेक्षित है। इस तरह का शिक्षित, अनुशासित और चरित्रवान विद्यार्थी ही मातृभूमि का सच्चा सपूत होकर उसे उजागर कर सकता है। इस सम्बन्ध में महात्मा गाँधी की निम्नलिखित पंक्तियाँ द्रष्टव्य है-

“विद्यार्थी को अपनी राय रखने और उसे पूरा करने की पूरी आजादी होनी चाहिए। उन्हें जो भी राजनीतिक दल अच्छा लगता हो, उसके साथ वे खुले तौर पर सहानुभूति रख सकते हैं, लेकिन मेरी राय में जब तक वे अध्ययन कर रहे हैं तब तक उन्हें इस कार्य की स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती। कोई विद्यार्थी अध्ययन करता रहे और साथ ही सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्त्ता भी हो, यह उचित नहीं ।’ अतः यह स्पष्ट है कि महात्मा गाँधी भी छात्रों को राजनीतिक ज्ञानार्जन की सलाह देते थे, किन्तु उसमें सक्रिय भाग लेने से दूर रखना चाहते थे।

2(2)  व्याख्या – प्रस्तुत गद्यांश सुप्रसिद्ध दलित आन्दोलन के नामवर लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि रचित आत्मकथात्मक ‘जूठन’ शीर्षक से लिया गया है। प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से लेखक ने समाज की विद्रूपताओं का कटाक्ष किया है। 

लेखक के परिवार द्वारा श्रमसाध्य कर्म किए जाने के बावजूद दो जून को रोटी भी नसीब न होती थी। रोटी की बात कौन कहे जूठन नसीब होना भी कम मुश्किल न था । विद्यालय का हेडमास्टर चूहड़े के बेटे को विद्यालय में पढ़ाना नहीं चाहता है, उसका खानदानी काम ही उसके लिए है। चूहड़े का बेटा है, लेखक, इसलिए पत्तलों का जूठन ही उसका निवाला है।

इस समाज में शोषण का तंत्र इतना मजबूत है कि शोषण बिना पैस का काम करवाता है अर्थात् बेगार लेता है। श्रम साध्य के बदले मिलती हैं गालियाँ लेखक अपनी आत्मकथा में समाज की क्रूरता को दिखाता है कि लेखक के गाँव में पशु मरता है तो उसे ले जाने के काम चूड़ों का ही है। ये काम बिना मूल्य के हैं। यह तंत्र का चक्र है जिसमें निर्धनता को बरकरार रखा गया है।

 

2(1) लहना सिंह ब्रिटिश सेना का एक सिक्ख जमादार है। उन्हें भारत से दूर विदेश (फ्रांस) में जर्मन सेना के विरूद्ध युद्ध करने के लिए भेजा गय है। वह एक कर्तव्यनिष्ठ सैनिक है। अदम्य साहस, शौर्य एवं निष्ठा से युक्त वह युद्ध के मोर्चे पर डटा हुआ है। विषम परिस्थितियों में भी कभी वह हतोत्साहित नहीं होता। अपने प्राणों की परवाह किए बिना वह युद्धभूमि में खंदकों में रात-दिन पूर्ण तन्मयता के साथ कार्यरत रहता है। कई दिनों तक खंदक में बैठकर निगरानी करते हुए जब वह कब जाता है तो एक दिन वह अपने सुबेदार से कहता है। कि यहाँ के इस कार्य (ड्यूटी) से उसका मन भर गया है, ऐसी निष्क्रियता से वह अपनी क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है। वह कहता है – “मुझे तो संगीन चढ़ाकर मार्च का हुक्म मिल जाए, फिर सात जर्मन को अकेला मारकर न लौटें तो मुझे दरबार साहब की देहली पर मत्था टेकना नसीब न हो।” उसके इन शब्दों में दृढ़ निश्चय एवं आत्मोत्सर्ग की भावना निहित है वह शत्रु से लोहा लेने के लिए इतना उत्कंठित है कि उसका कथन इन शब्दों में प्रकट होता है ‘बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही” शुत्र की हर चाल को विफल करने की अपूर्व क्षमता एवं दूरदर्शिता उसमें थी। 

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2 Marks Answer 

1. (v) उत्तर प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम का परिणाम है जैसे की ज्वालामुखी भूकंप जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है। मानव दुर्बलताओं को उचित आपातकालीन प्रबंधन का अभाव और बढ़ा देता है, जिसकी वजह से आर्थिक, मानवी पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। इन प्राकृतिक आपदाओं से मनु-य अपनी सावधानी सकता है। जंगलों की कटाई रोकने से बाढ़ के संकट से नही निकल पाते है 

2. (1) उत्तर- आज प्रत्येक पुरुष अपनी पत्नी को फूलों सा आनंदमय समझता है और प्रत्येक पत्नी अपने पति को बहुत कुछ उसी दृष्टि से देखती है जिस दृष्टि से वृक्ष को देखती होगी। पछाड़ खाकर रह जाती थी। बुद्ध और महावीर ने कृपा करके को भी भिक्षुणी होने का अधिकार दिया था, किंतु यह अधिकार भी नारी के हाथ सुरक्षिक्ष

2. (ii)

 

कितने क्रूर समाज में रहे हैं हम राम का कोई मोल ही नहीं बल्कि निर्धनता को बरकरार रखने का एक षड्यंत्र ही था यह हुए पशु की खाल मुजफ्फरनगर के चमड़ा बाजार में बिक जाती थी। उन दिनों एक

 

पशु गुल बीस से पच्चीस रुपए में बिकती थी बुद्ध ने आनंद से “यही स्थिति हमारे मन की भी है. जीवन की परेशानियां उसे 4. (i) उत्तर-विक्षुब्ध कर जाती हैं, मथ पर कोई यदि शांति और धीरज से उसे बैठा देखता है रहे, तो मन का मैल अपने आप नीचे जाता है और आप एक बार फिर साफ दिल से आगे बढ़ते हैं

4. (ii) उत्तर- 5 कन्वर्सेशन बात करने की ऐसी कला है जिसमें बहुत रोचकता, यथार्थता से । यह युरोप के लोगों में बहुत प्रसिद्ध है

तुलसी माता सीता से निवेदन करते हैं कि माता अवसर पाकर मुझे गरीब, अंगहीन, निस्तेज की करुणा कथा सुने तथा प्रभु श्री राम को मेरी दयनीय स्थिति के बारे में बताये ताकि प्रभु की कृपया दृष्टि मुझ पर हो और मैं प्रभु का गुणगान करता हुआ तर जाऊँ।

 

4. (vii) उत्तर- प्रस्तुत कविता में महाराजा छत्रसाल की तलवार सूर्य की किरणों के समान प्रखर और प्रचंड है उनके तलवार की भयंकरता से शत्रु दल थर्रा उठते हैं। उनकी तलवार युद्धभूमि में प्रलयकारी सूर्य की किरणों की तरह म्यान से निकलती है।

4. (viii) उत्तर- वह मरते समय लड़की को शाप दे गया कि जैसे तूने मुझे पानी के लिए तरसाया, वैसे ही सृष्टि पर्यंत तू भी चोली बन बूंद बूंद पानी के लिए तरसती रहना।

5. (i) उत्तर- कहानी का नायक लहना सिंह अपने बचपन में कभी एक बालिका से मन ही मन प्रेम करता था। कालांतर में वह लड़की उसके सूबेदार की पत्नी बनी। जिसने लाम् पर जाते हुए लहना सिंह से यह निवेदन किया कि वह उसके पति और पुत्र की रक्षा करें। लहना सिंह युद्ध के मैदान में अपने

प्राणो का उत्सर्ग कर सूबेदार और उसके पुत्र बोधा को बचाता है। 5. (ii) उत्तर- यह एक विवाहित नारी के अभावों में घुटते हुए पंगु बने व्यक्तित्व की सीमा चित्रण है। रोज़ एक ही ढर्रे पर चलती मालती की उबाहट भरी दिनचर्या कहानी के शीर्षक भी ध्वनित होती है। कहानी के उद्देश्य की ओर इसका शीर्षक भी संकेत करता है। इसलिए इस कहानी का ‘रोज़’ शीर्षक सर्वथा उपयुक्त शीर्षक है।

5. (iii) उत्तर शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली वह सोद्देश्य जिन प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान. एवं कल ल में वृद्धि तथा व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। इसके

7. तुलसीदास सीता से कैसी सहायता माँगते हैं ?

उत्तर तुलसीदास माँ सीता से भवसागर पार कराने वाले श्रीराम को गुणगान करत हुए भक्ति प्राप्ति की सहायता की याचना करते हैं। हे जगत की जननी अपने वचन द्वारा मेरी सहायता कीजिए।

10. लहना के गाँव में आया तुर्की मौलवी क्या कहता है?

उत्तर = लहना के गाँव में एक तुर्की मौलवी पहुँचकर वहाँ के लोगों को प्रलोभित करता है। वह उनलोगों को मीठी-मीठी बातों से भुलावे में डालने का प्रयास करता है। वह गाँववालों को कहता है कि जब जर्मन शासन आएगा तो तुमलोगों के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। तुमलोग सुख-चैन की वंशी बजाओगे तुम्हारी सारी आवश्यकताएँ पूरी हो जाएँगी। 

ऊपर दिए गए सभी प्रश्नों का सही-सही उत्तर है जिसे आप लोग अपना एग्जाम में जाकर गर्दा हुआ करेंगे आप लोग टेलीग्राम जरूर ज्वॉइन करें। 

3. आर्ट ऑफ कन्वर्सेशन क्या है ?

उत्तर- यह बात करने की एक ऐसी कला होती है जिसमे बातचीत के दौरान चतुराई के साथ प्रसंग छोड़े जाते है जिन्हें सुनकर अत्यंत सुख मिलता है। यह कला यूरोप के लोगो में ज्यादा पाई जाती है। मिलता है । यह

 

 

 

 

 

 

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