विज्ञान : वरदान या अभिशाप | essay on vigyan in hindi

 विज्ञान : वरदान या अभिशाप 

ज्ञान की नियोजित पद्धति का नाम ही विज्ञान है। यह यकीनन अंधकार पर प्रकाश की, अज्ञान पर ज्ञान की, शक्ति पर बुद्धि की विजय का नाम है, इसने सपनों की रंगीन दुनिया को सच कर दिया है। वैज्ञानिक आविष्कारों के पहले हम पौराणिक कथाओं में देवदूत परयों और इंद्रजाल के कर्तव्यों की कहानियां सुना करते थे । चांद और सितारों पर शेयर करने के काल्पनिक आनंद में खोए रहते थे, तिलिस्मी और अय्यारी उपन्यासों के माध्यम से मनुष्य की सामर्थ्य की दुनिया से बाहर जाकर अपनी काल्पनिक शक्ति पर भरोसा करते थे, पर विज्ञान ने इस झूठा आनंद झूठी खुशी को वास्तविक खुशी और आनंद में बदल दिया है। विज्ञान की प्रभुता से आज का आदमी जो खाता है, जो पहनता है जो पड़ता है जिस पर लिखता है और जिस से लिख आता है यह सभी विज्ञान की देन है।

      प्रकृति ने हमें बाधाएं दी है पर विज्ञान ने उन बाधाओं को लाने का रास्ता दिया है या विज्ञान का चमत्कार ही है कि हमलावरों से खेल सकते हैं तूफानों से लड़ सकते हैं और मरते हुए समुद्र को पार करने में सफल होते हैं। विज्ञान ने रेल वायुयान टेलीफोन रेडियो एयर कंडीशनर आदि देकर जहां मनुष्य को सुविधा दी है वहीं यह भी प्रमाणित किया है कि आज की दुनिया इसकी मुट्ठी में है। वही वह भी हो गया है बारूद के ढेर पर बैठी हुई दुनिया जहां झूठ गर्व से अपनी शक्ति का एहसास पर फूली नहीं समाती वही बारूद के ढेर में आग लगने की आशंका से मुक्त भी नहीं है यह विज्ञान की देन है कि पूरी सृष्टि अनुभव और हाइड्रोजन बम का आविष्कार कर विनाश के कगार पर खड़ी हो गई है।

निष्कर्ष – यह कहा जा सकता है कि विज्ञान बुद्धि द्वारा उत्पादित अपरिमित सतीश सुविधा और विनाश का नाम है। विज्ञान का उद्देश्य हिल उपयोग अंधेरी गलियों में भटका सकती है कुछ हासिल नहीं करा सकती है।

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